
ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अरागची मॉस्को के लिए रवाना हो गए. इस बीच ईरान ने दावा किया है कि अमेरिका हवाई हमलों में सिर्फ सतही नुकसान हुआ है.ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अरागची ने रूसी मीडिया के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि वह रविवार को रूस जाएंगे. मॉस्को में वह रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात कर अमेरिकी हमले पर गंभीर सलाह मशवरा करेंगे. रूस का जिक्र करते हुए अरागची ने कहा, "हम रणनीतिक साझेदारी निभाते हैं और हमेशा अपने रुख को लेकर आपस में मशवरा करते हैं."
ईरानी समयानुसार रविवार तड़के जब अमेरिका ने ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर हमला किया तो उस वक्त अरागची अरब लीग के देशों की बैठक में भाग लेने के लिए तुर्की में थे. हमले के बाद इंस्ताबुल में प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए उन्होंने कहा, "कूटनीति का दरवाजा हमेशा खुला रहना चाहिए लेकिन फिलहाल मामला ऐसा नहीं है."
ईरानी विदेश मंत्री के मुताबिक, ऐसी कोई लाल लकीर नहीं है जो ईरान के विरुद्ध अमेरिका ने लांघी ना हो, "और ये आखिरी वाली तो सबसे ज्यादा खतरनाक थी, बीती रात उन्होंने परमाणु ठिकानों पर हमला करके बहुत ही बड़ी लाल रेखा पार की है."
अमेरिकी हमलों में ईरान का कितना नुकसान
समाचार एजेंसी एपी के मुताबिक, उसने अमेरिकी हमलों के बाद फोर्दो न्यूक्लियर साइट की सैटैलाइट तस्वीरों की जांच की. एपी के मुताबिक प्लैनेट लैब्स पीबीसी की तस्वीरे में पहाड़ का एक हिस्सा पुरानी तस्वीर के मुकाबले स्लेटी नजर आ रहा है. ऐसा लगता है जैसे धमाके से काफी मलबा बिखरा हो. हवा में हल्का स्याह धुआं भी दिख रहा है. हमले से ठीक पहले की सैटेलाइट तस्वीरों से ऐसा लगता है जैसे ईरान ने फोर्दो न्यूक्लियर साइट की मुख्य सुरंग सील कर दी थी.
ईरानी परमाणु सुरक्षा केंद्र के प्रमुख मोहम्मद रजा करदान के मुताबिक, "हमने अनुमान लगाया था कि इस तरह के अपराध कभी भी हो सकते हैं. इसीलिए उपाय किए गए और योजना बनाई गई, और अल्लाह का शुक्र है कि हमले के बाद भी उन जगहों के बाहर कोई रेडियोएक्टिव लीकेज या परमाणु विकिरण नहीं हुआ. लोग बिना किसी चिंता के अपना जीवन जारी रख सकते हैं.”
अमेरिका का ऑपरेशन "मिडनाइट हैमर"
अमेरिकी सेना ने रविवार की सुबह ईरान में तीन ठिकानों पर हमला किया. इन हमलों के कुछ ही देर बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने देश को संबोधित करते हुए इन हमलों की जानकारी भी दी.
अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर हमलों की जानकारी देते हुए ट्रंप ने लिखा, "हमने ईरान के तीन परमाणु ठिकानों, फोर्दो, नतांज और इसफाहान पर सफलता से हमले किए हैं. सारे विमान अब ईरानी एयर स्पेस से बाहर हैं. मुख्य साइट, फोर्दो पर पूरी भार क्षमता के साथ बम गिराए गए."
अमेरिकी सेना के टॉप जनरल डैन कैन के मुताबिक, इन हमलों के लिए सात स्टील्थ बॉम्बर विमानों का इस्तेमाल किया गया. जटिलता को देखते हुए इस ऑपरेशन को "मिडनाइट हैमर" नाम दिया गया. अभियान की जानकारी देते हुए कैन ने कहा कि इसमें सात बी-2 स्पिरिट बॉम्बर इस्तेमाल किए गए. विमान अमेरिका से 18 घंटे तक लगातार उड़ान भरते हुए ईरान पहुंचे. इस दौरान हवा में ही कई बार उनमें तेल भरा गया.
ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले के वक्त वहां क्या कुछ हो रहा था, इसका जिक्र करते हुए कैन ने कहा, "ईरान के लड़ाकू विमान उड़े ही नहीं, और ऐसा लगता है जैसे ईरान के सतह से हवा में मार करने वाले मिसाइल सिस्टमों ने पूरे अभियान के दौरान हमें देखा ही नहीं. हम चौंकाने वाली रणनीति में सफल रहे."
कितना बड़ा पलटवार करेगा ईरान
आंद्रेयास क्रीग लंदन के किंग्स कॉलेज में सीनियर लेक्चरर हैं. ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर किए गए अमेरिकी हमलों को वह "अत्यधिक जोखिम और अंजाने नतीजे" लाने वाला कदम बताते हैं. क्रीग कहते हैं, "ट्रंप ओपन सोर्स इंटेलिजेंस अकाउट्स का इस्तेमाल कर कह रहे हैं कि फोर्दो तबाह हो चुका है, जबकि ईरानियों का कहना है कि नुकसान केवल सतही स्तर पर हुआ है."
इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप में ईरान के प्रोजेक्ट मैनेजर अली वैज के मुताबिक, फोर्दो को तबाह करने का यह मतलब नहीं है कि ईरान अपना परमाणु कार्यक्रम बंद कर देगा. वह कहते हैं, "तेहरान ने बीते बरसों में सैकड़ों एडवांस्ड सेट्रीफ्यूज बनाए हैं और उन्हें अंजान लोकेशनों में स्टोर किया है."
क्रीग को लगता है कि ईरान अमेरिका हमले का जबाव बहुत ही सधे अंदाज में देगा, यह "इतना जोरदार होगा कि उसकी गूंज उठेगी, लेकिन इतना नपा तुला भी कि उसे संभाला जा सके."