
Ashadh Gupt Navratri 2025: चैत्र एवं शारदीय नवरात्रि (Chaitra And Sharad Navratri) को अपवाद मान लें तो दो अन्य नवरात्रियां एक माघ एवं दूसरी आषाढ़ माह में मनाई जाती हैं, जिसे गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri) कहते हैं. यूं तो श्रद्धालु सामान्य रूप से चैत्र एवं शारदीय नवरात्रियां मनाते हैं, लेकिन गुप्त नवरात्रि में तंत्र साधना का विशेष महत्व है. गुप्त नवरात्रि की पूजा मूलतः तांत्रिक एवं अघोरी समुदाय के लोग विभिन्न सिद्धियां प्राप्त करने हेतु देवी दुर्गा की 10 महाशक्तियों की कड़ी साधना-अनुष्ठान करते हैं. इस वर्ष 26 जून 2025 को आषाढ़ गुप्त नवरात्रि कलश स्थापना के साथ शुरु होकर 5 जुलाई 2025 को समाप्त होगी. आइये जानते हैं इस गुप्त नवरात्रि की पूजा-अनुष्ठान आदि के बारे में…
गुप्त नवरात्रि में तंत्र साधना
गुप्त नवरात्रि में अधिकांश श्रद्धालु जिसमें तांत्रिक ज्यादा होते हैं, अपनी आध्यात्मिक एवं मानसिक शक्तियों की वृद्धि करने के लिए उपवास, संयम, भजन, एवं योग साधना करते हैं, लेकिन गुप्त नवरात्रि में मुख्य रूप से 10 महाविधाओं की साधना एवं अनुष्ठान किए जाते हैं. ये 10 शक्तियां हैं क्रमशः मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां ध्रूमावती, माता बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी. इसके साथ देवी की सोलह शक्तियों की प्राप्ति के लिए भी यह पूजा-अनुष्ठान करते हैं. गुप्त नवरात्रि में बनने वाले सिद्धि दाई योग में दुर्गा सप्तशती का पाठ करना अत्यंत कल्याणकारी होता है..
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का महत्व
आषाढ़ मास की नवरात्रि तंत्र-मंत्र और गुप्त सिद्धियों के लिए प्रचलित है. मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा और उनकी 10 महाविद्याओं की पूजा करने से हर मनोकामना पूरी होती है. ज्योतिषियों के अनुसार इस नवरात्रि के पूरे 9 दिन व्रत रखने से जातक के हर कष्ट दूर होते हैं. गौरतलब है कि गुप्त नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा की 10 महाविद्याओं की पूजा का विधान है. यह पूजा पूर्ण रूप से गुप्त तरीके से गुप्त स्थान पर होती है.
मां दुर्गा के 10 महाविद्याओं की पूजा का शेड्यूल
प्रतिपदाः मां काली की पूजा
द्वितीयाः मां तारा की पूजा
तृतीयाः मां त्रिपुर सुंदरी की पूजा
चतुर्थीः मां भुवनेश्वरी की पूजा
पंचमीः मां छिन्नमस्तिका की पूजा
छठे दिनः मां त्रिपुर भैरवी की पूजा
सातवे दिनः मां धूमावती की पूजा
आठवें दिनः मां बगलामुखी की पूजा
नौवें दिनः मां मातंगी की पूजा
दसवें दिनः मां कमला की पूजा
आषाढ़ मास गुप्त नवरात्रि की पूजा विधि
गुप्त नवरात्रि के दिन स्नान-ध्यान कर घर के मंदिर के आसपास की सफाई करें. अब मंदिर में स्थित दुर्गा जी की प्रतिमा पर गंगाजल छिड़ककर प्रतीकात्मक स्नान कराएं. मां को चुनरी चढ़ाएं. धूप-दीप प्रज्वलित करें. चूंकि पहले दिन मां काली की पूजा का विधान है, इसलिए मां काली का मंत्र पढ़ें.
ॐ क्रीं कालिकायै नमः.
मां को फूल, रोली, पान, सुपारी और अक्षत चढ़ाएं. सुहाग की सामग्री के साथ भोग में फल एवं मिष्ठान चढ़ाएं. दुर्गा सप्तशती का पाठ करें. आखिरी में मां की आरती उतारें और मन ही मन अपनी कामना पूर्ति की प्रार्थना करें. पूजा के अंत क्षमा याचना करें. सबको प्रसाद वितरित करें.22