
पाकिस्तान ने आधिकारिक रूप से अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप का नाम 2026 के नोबेल शांति पुरस्कारों के लिए नामांकित किया है. इस्लामाबाद ने उनकी तारीफ में कोई कमी नहीं छोड़ी है.सोशल नेटवर्किंग साइट एक्स पर एक लंब पाकिस्तान की सरकार ने लिखा, "पाकिस्तान की सरकार ने यह तय किया है कि 2026 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए औपचारिक रूप से राष्ट्रपति डॉनल्ड जे. ट्रंप का नाम सुझाया जाता है, यह हाल के भारत-पाकिस्तान संकट में उनके निर्णायक कूटनीतिक दखल और आधारभूत नेतृत्व का सम्मान है."
ट्रंप के लिए तारीफों का पुलिंदा
दुनिया के सारे विवादों के लिए "डील...डील" शब्द इस्तेमाल करने वाले मौजूदा अमेरिकी राष्ट्रपति के बारे में पाकिस्तान ने यह भी कहा कि ट्रंप ने एक महान रणनैतिक दूरदृष्टि और तारों के समान चमकने वाले नेतृत्व का प्रदर्शन किया है. इस्लामाबाद के मुताबिक, इस तरह उन्होंने "क्षेत्रीय उथल पुथलता को मजबूत कूटनीतिक भागीदारी" से सुलझाया.
तारीफों की इस गठरी में इस्लामाबाद ने यह भी जोड़ा कि, ट्रंप के ही दखल से दो परमाणु शक्ति संपन्न देशों का विवाद, करोड़ों लोगों के लिए एक त्रासदी में बदलने से बचा. पाकिस्तान सरकार के मुताबिक, भारत के साथ हुए हालिया सैन्य संघर्ष में अगर हालात और बिगड़ते तो दोनों देशों और बाकी दुनिया के करोड़ों लोगों के लिए भी इसके भीषण परिणाम होते.
पाकिस्तान सरकार के बयान के मुताबिक, "यह दखल एक सच्चे शांतिदूत की भूमिका और विवाद को संवाद के जरिए हल करने की उनकी वचनबद्धता की मिसाल है."
पाकिस्तान सरकार के इस नामांकन से एक दिन पहले ही ट्रंप ने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में विवादों की एक लंबी लिस्ट डाली और कहा कि ये सब उन्होंने सुलझाए हैं. इसमें भारत-पाकिस्तान विवाद और अब्राहम समझौते का जिक्र भी था. इसी पोस्ट में ट्रंप ने लिखा, "मैं भले ही कुछ भी कर लूं, मुझे नोबेल शांति पुरस्कार नहीं मिलेगा."
ट्रंप का ईगो मसाज
पाकिस्तान की रक्षा मामलों की संसदीय समिति के पूर्व अध्यक्ष मुशाहिद हुसैन ने नोबेल शांति पुरस्कार के लिए ट्रंप के नामांकन को सही ठहराया है. हुसैन ने कहा कि ट्रंप पाकिस्तान के लिए अच्छे हैं. उन्होंने यह भी कहा, "अगर यह उनके ईगो को बढ़ावा देता है तो भी क्या हर्ज है. यूरोपीय नेता भी तो अभी खट्टे मन से उन्हें लुभाने की खूब कोशिशें कर रहे हैं."
इसी हफ्ते पाकिस्तानी सेना के प्रमुख आसिम मुनीर ने वॉशिंगटन में अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ लंच किया था. ईरान इस्राएल संघर्ष के बीच हुई उस मुलाकात के लिए ट्रंप ने मुनीर को व्हाइट हाउस में बुलाया था. उस मुलाकात के बारे में ट्रंप ने कहा कि मुनीर से मिलना उनके लिए एक सम्मान सा था.
हालांकि पाकिस्तानी आर्मी चीफ से मुलाकात से ठीक पहले ट्रंप ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी टेलीफोन पर लंबी बातचीत भी की. रिपोर्टों के मुताबिक इस बातचीत में मोदी ने ट्रंप से साफ कहा कि, "भारत ने पाकिस्तान के साथ अपने विवाद में ना तो मध्यस्थता स्वीकार की है और ना ही कभी करेगा."
सारा मामला भारत और पाकिस्तान के बीच हुए सीजफायर का
भारतीय कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को पर्यटकों पर भीषण जानलेवा हमला किया गया. नई दिल्ली ने आरोप लगाया कि हमला पाकिस्तान से आए आतंकवादियों ने किया. भारत ने यह भी कहा कि इस हमले के जिम्मेदार लोगों को बख्शा नहीं जाएगा. इसके बाद भारत ने सात मई को पाकिस्तान के कुछ ठिकानों पर हवाई हमले किए. नई दिल्ली ने दावा किया कि उसने पाकिस्तान में कई जगहों पर हवाई हमले कर "आतंकवादी ठिकानों" को निशाना बनाया है.
इस्लामाबाद ने इन दावों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उसने जवाबी कार्रवाई में भारत के कुछ लड़ाकू विमान मार गिराए हैं. इसके बाद दोनों देशों के बीच भीषण संघर्ष छिड़ गया. दोनों ने चार दिन तक एक दूसरे पर मिसाइलों, ड्रोनों और तोपों से हमले किए. रिपोर्टों के मुताबिक भारत ने पाकिस्तान के भीतरी इलाकों और कुछ बेहद संवेदनशील सैन्य ठिकानों पर हमले किए.
बढ़ते विवाद के बीच 10 मई को दोपहर में (भारतीय समय के मुताबिक) अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर, संघर्षविराम का एलान कर दिया. ट्रंप ने दावा किया कि दोनों देशों से बातचीत कर उन्होंने यह संघर्ष विराम करवाया है.
भारतीय नेतृत्व लगातार ट्रंप के इस दावे का खंडन कर रहा है. भारत का कहना है कि संघर्ष विराम अमेरिकी राष्ट्रपति ने नहीं, बल्कि दोनों देशों ने खुद किया है. भारत के इस स्टैंड के बावजूद, ट्रंप अब भी बीच बीच में संघर्ष विराम का श्रेय लेते हैं. पाकिस्तान भी सीजफायर कराने के लिए ट्रंप का सार्वजनिक रूप से आभार जताता रहता है. इस्लामाबाद, कश्मीर विवाद को हल करने में ट्रंप के मध्यस्थता प्रस्ताव का भी स्वागत कर चुका है. वहीं, भारत, कश्मीर को द्विपक्षीय मुद्दा बताते हुए इसमें तीसरे पक्ष की भूमिका को अस्वीकार करता है.