
सोशल मीडिया पर इन दिनों एक दिलचस्प लेकिन डराने वाली थ्योरी वायरल हो रही है “क्या 2025 में 1941 खुद को दोहराएगा?” इसका आधार है कि 2025 और 1941 का कैलेंडर एक जैसा है, यानी दोनों वर्षों की तारीखें और दिन एकदम मेल खाते हैं. लेकिन लोगों को चिंता इस बात की है कि कहीं 1941 जैसी त्रासदियां भी तो दोबारा नहीं हो रहीं! 1941 को इतिहास के सबसे खूनी सालों में गिना जाता है. उस वर्ष द्वितीय विश्व युद्ध, बमबारी, भुखमरी, और नरसंहार जैसी भयावह घटनाएं घटी थीं.
2025 के पहले छह महीने में भी हमने देखा; पहलगाम में आतंकी हमला, बेंगलुरु के स्टेडियम में भगदड़, अहमदाबाद में एयर इंडिया का भीषण विमान हादसा, कैलिफोर्निया जंगल की आग, महाकुंभ में हादसा और अब 6 महीने बाकी हैं, तो सोशल मीडिया पर डर और साजिश की बातें होने लगी हैं.
कौन फैला रहा है ये थ्योरी?
इंस्टाग्राम पर लाखों फॉलोअर्स वाले इंफ्लुएंसर कुलदीप सिंघानिया ने इस थ्योरी को हवा दी. उन्होंने एक वीडियो में खुद से बातचीत के अंदाज में कहा, "ये है 1941 का कैलेंडर और ये है 2025 का कैलेंडर दोनों एक जैसे. क्या ये कोई श्राप है? क्या हम टाइम लूप में हैं?..."
उनके इस वीडियो को लाखों बार देखा गया है, और इससे लोग उत्सुकता के साथ-साथ घबराहट में भी हैं.
2025 और 1941 में हैरान करने वाली समानताएं
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क्या ये केवल इत्तेफाक है?
कुछ लोग इस थ्योरी को "इतिहास दोहरा रहा है" की निशानी मान रहे हैं, जबकि अन्य इसे महज "कैलेंडर का गणितीय चक्र" मानते हैं. एक यूजर ने लिखा, "टाइम रेखा नहीं, एक लूप है कुलदीप सर ने जो देखा, वो हमसे पहले समझ गए!" वहीं एक और यूजर ने साफ किया, "2025 सिर्फ 1941 से नहीं, बल्कि 2014, 2003, 1986, 1975 जैसे कई वर्षों से कैलेंडर में मेल खाता है. ये गणितीय पैटर्न है, न कि कोई शाप."
कैलेंडर का विज्ञान क्या कहता है?
गैर लीप वर्ष (Non-Leap Year) हर 6, 11 या 28 वर्षों में दोहराए जाते हैं. इसलिए 2025 का कैलेंडर सिर्फ 1941 से नहीं बल्कि कई अन्य सालों से मेल खाता है. इसका अर्थ है कि एक जैसे कैलेंडर होने का मतलब यह नहीं कि घटनाएं भी दोहराई जाएंगी.
क्या मानें और क्या न मानें?
2025 में कई दुखद घटनाएं जरूर हुई हैं, लेकिन यह कहना कि हम “1941 के टाइम लूप” में हैं, शायद डर का फायदा उठाने जैसा है. हमें अंधविश्वास या वायरल थ्योरी के बजाय तथ्यों और वैज्ञानिक जानकारी पर भरोसा रखना चाहिए.