Muharram 2025 Wishes: मुहर्रम 1447 के इन शानदार HD Images, WhatsApp Status, GIF Greetings के जरिए करें इस्लामिक नववर्ष का स्वागत
मुहर्रम 1447 (Photo Credits: File Image)

Muharram 2025 Wishes: दुनिया भर में रहने वाले मुस्लिम समुदाय के लोग इस्लामिक हिजरी कैलेंडर का पालन करते हैं, जो चंद्र चक्र पर आधारित है और मुहर्रम (Muharram) इस्लामिक चंद्र कैलेंडर का पहला महीना होता है. मुहर्रम यानी नए साल (New Year) के पहले महीने की शुरुआत बकरीद मनाए जाने के करीब 20 दिन बाद होती है और इस महीने का इस्लाम धर्म में खासा महत्व बताया जाता है. इस साल 27 जून 2025 से मुहर्रम यानी इस्लामिक नववर्ष (Islamic New Year) की शुरुआत हो रही है. दरअसल, मुहर्रम इस्लामिक नववर्ष है, लेकिन इसी महीने की 10वीं तारीख को मातम के तौर पर मनाया जाता है, जिसे यौम-ए-आशूरा कहा जाता है. इस्लामित मान्यताओं के अनुसार, मुहर्रम महीने की दसवीं तारीख यानी आशूरा के दिन इस्लाम धर्म की रक्षा करने वाली कर्बला की जंग में हजरत मुहम्मद साहब के छोटे नवासे इमाम हुसैन ने शहादत दी थी, इसलिए उनकी शहादत को याद करते हुए मुस्लिम समुदाय के लोग इस दिन ताजिए निकालते हैं.

मुहर्रम के महीने में सदका करना बेहद शुभ माना जाता है, ऐसी मान्यता है कि इससे साल भर अल्लाह की रहमत बनी रहती है. हालांकि मुहर्रम मनाने की तारीख चांद के दीदार पर निर्भर करती है, इसलिए इसकी तारीख बदलती रहती है. ऐसे में आप मुहर्रम 1447 के इन शानदार विशेज, एचडी इमेजेस, वॉट्सऐप स्टेटस, जीआईएफ ग्रीटिंग्स को अपनों संग शेयर कर इस्लामिक नववर्ष का स्वागत कर सकते हैं. यह भी पढ़ें: Islamic New Year 2025: कब है इस्लामिक नव वर्ष? जानें कैसे निर्धारित होता है नया साल और कैसे करते हैं सेलिब्रेशन!

1- मुहर्रम 1447

मुहर्रम 1447 (Photo Credits: File Image)

2- मुहर्रम 1447

मुहर्रम 1447 (Photo Credits: File Image)

3- मुहर्रम 1447

मुहर्रम 1447 (Photo Credits: File Image)

4- मुहर्रम 1447

मुहर्रम 1447 (Photo Credits: File Image)

5- मुहर्रम 1447

मुहर्रम 1447 (Photo Credits: File Image)

गौरतलब है कि मुहर्र्म के महीने में रोजा रखने को लेकर सुन्नी और शिया समुदाय की मान्यताएं एक-दूसरे से भिन्न हैं. शिया समुदाय के लोग जहां 9 दिनों तक रोजा रखते हैं और आशूरा के दिन रोजा नहीं रखते, तो वहीं सुन्नी समुदाय के लोग नौवें और 10वें दिन रोजा रखते हैं. सुन्नी समुदाय के लोग रोजा रखकर अल्लाह की इबादत करते हुए यौम-ए-आशूरा मनाते हैं, जबकि शिया समुदाय के लोग पूरे महीने को मातम के तौर पर मनाते हैं और काले रंग के कपड़े पहनते हैं. इतना ही नहीं आशूरा के दिन भी शिया मुसलमान काले कपड़े पहनकर ताजिए निकालते हैं और जुलूस में तलवारबाजी करके अपना खून बहाते हुए इमाम हुस्सैन की शहादत का शोक मनाते हैं.